जलपाईगुड़ी, 30 अगस्त (नि.सं.)। आज आदिवासी समाज के प्रमुख त्यौहार करम पूजा है। ढोल-मांदर के ताल में पूरा आदिवासी समाज झूम उठा है। कहा जाता है कि करम के पेड़ ने एक बार इस आदिवासी समाज को बचाया था। तभी से उक्त करम पर्व की शुरुआत हुई है।
इसीलिए आदिवासी समुदाय के लोग करम वृक्ष की पूजा करते हैं।आज जलपाईगुड़ी के करलावैली चाय बागान में करम पूजा में आदिवासी समुदाय के लोग शामिल हुए। जलपाईगुड़ी के सभी चाय बागान इलाकों में शनिवार रात से करम पूजा शुरू हुआ है।
बताया गया है कि जलपाईगुड़ी के करला वैली चाय बागान के करम पूजा का इस साल 13 साल पूरा हुआ है। 5 कुंवारी लड़कियों ने तीन दिनों तक उपवास कर करम पूजा किया है। पूजा पूरा रात हुआ। करम पूजा के अवसर पर सभी चाय बागानों में सरकारी छूट्टी दी गयी थी।
करम पूजा को देखने के लिये चाय बागान के अधिकारी उपस्थित थे। ढोल-मांदर के ताल में उपस्थित लोगों ने इस पूजा का लुफ्त उठाये। पूरी रात करम पूजा की गयी और आज सुबह जलपाईगुड़ी के करला नदी में करम पेड़ को विसर्जन कर दिया गया।