सिलीगुड़ी,25 सितंबर (नि.सं.)। महालया से दुर्गा पूजा की शुरूआत हो जाती है। बांगल के लोगों के लिये महालया का विशेष महत्व है और वे साल भी इस दिन की प्रतिक्षा करते है। महालया के साथ ही जहां एक तरफ श्राद्ध खत्म हो जाता है।
वहीं, मान्यताओं के अनुसार इसी दिन मां दुर्गा कैलाश पर्व से धरती पर आगतन करती है और अगले 10 दिनों तके यहीं रहती है। बंगाली परंपरा के अनुसार महालया पर चोखू दान की जाती है यानी इस दिन मूर्तिकार मां कि प्रतिमा पर पहली बार रंग चढ़ाते हैं। इसके साथ ही कलाकार इसी दिन मां के नेत्र को आकार देते हैं। ऐसे में यह समय काफी उत्साह और भावुक करने वाला भी होता है, क्योंकि एक मूर्तिकार अपनी कला से प्रतिमा को जीवंत रूप देने की शुरुआत करता है। जिसके बाद मां दुर्गा की मूर्ती विभिन्न पंडालों की शोभा बढ़ाती है।
शास्त्रों के अनुसार इस साल भी सिलीगुड़ी के लोगों ने सिलीगुड़ी की महानंदा नदी में तर्पण किया। महालया की सुबह सिलीगुड़ी के लोगों ने बारिश को उपेक्षा करते हुए अपने पूर्वजों को जल अर्पित किया। आज सिलीगुड़ी नगर निगम के डिप्टी मेयर रंजन सरकार ने महानंदा नदी में पूर्वजों को जल अर्पित किया।तर्पण के बाद उन्होंने सिलीगुड़ी के कुमारटोली जाकर देवी दुर्गा का नेत्र दान किया।
इस संबंध में रंजन सरकार ने कहा कि महालय की सुबह पितृ पक्ष के दौरान पितरों को जल अर्पित कर जीवन में सुख-शांति और समृद्धि का आशीर्वाद मांगा गया है। महानंदा नदी में बहुत से लोगों ने तर्पण किया। कोरोना के कारण मैं दो साल तक अपनी मां की पूजा नहीं कर सका। उन्होंने सभी के अच्छे होने की कामना की।