सिलीगुड़ी,15 जुलाई (नि.सं.)। इश्क…हाँ साहेब.! इश्क आज के दौर में मोहेन्जोदारो के टाइम में लगने वाली जंगल की आग की तरह हो गया है! या फिर यूँ कह लीजिए कि आज के टाइम में इश्क एक क्राँन्ति टाइप से फैल रहा है! या फिर एक रोग…जैसे कि डाइबिटीज.! हाँ जी..कुछ ऐसा ही.! क्योंकि उमर की एक सीमा के बाद यह रोग हो जाना लगभग तय होता है!
कहते हैं इश्क का कोई उम्र नहीं होता..कोई जात-पात नहीं होती..कोई सीमा नहीं होती..ऊँच-नीच..धर्म-अधर्म कोई भेद-भाव नहीं! ये किसी को बेड़ियों में नहीं बाँधता! प्यार तो एक-दूसरे में रंग जाने का नाम है। और जब विधाननगर में हुई एक शादी के बाद लोगों को एहसास हुआ कि इन लोगों की बदौलत धरती पर प्यार हमेशा कायम रहेगा। इस शादी में दूल्हा और दुल्हन दोनों ही दृष्टिबाधित हैं।
दरअसल हम यहां जोत्सना और बापी की बात कर रहे हैं। बुधवार को विधाननगर के भीमबार स्कूल में ये दोनों जोड़े सादी के बंधन में बंधे। जोत्सना दास विधाननगर के भीमबार स्कूल में पढ़ती थी। करीब एक साल पहले वह दिल्ली के एक कॉलेज में दाखिले के लिए गयी थी। वहां जोत्सना का परिचय बापी चटर्जी नामक एक युवक से हुआ। इसके बाद कुछ दिन पहले बापी विधाननगर आए और जोत्सना से शादी करने का प्रस्ताव रखा।
उन दोनों ने सोचा था कि वे मंदिर जाकर शादी करेंगे और एक नया संसार बसायेंगे। लेकिन उनका सपना था कि वे सामाजिक रीति रिवाज के साथ शादी करें। कई दिनों तक उन्होंने सोशल मीडिया के जरिए मदद की गुहार लगाई।
उनके अनुरोध को ध्यान में रखते हुए कई लोग उनके मदद हेतु आगे आये। इसके बाद बुधवार रात को भीमबार आवासिकों ने सादी का आयोजन कर रीति रिवाज व धूमधाम से गाजे बाजे के साथ उनका विवाह करवाया। भीमबार स्कूल में कई लोग इस जोड़े को आशीर्वाद देने पहुंचे।