सिलीगुड़ी, 1 मई (नि.सं.)। 6 साल पहले मां ने साथ छोड़ दिया और 1 साल पहले पिता की मौत हो गयी। यह कहानी है सिलीगुड़ी के आशीघर मोड़ में रहने वाले तीन भाई-बहनों की। इन बच्चों का नाम निकिता (14 ), नेहा(11) और विश्व (9) है।
कम उम्र में ही इनके सर से माता-पिता का साथ छूटने से ये बच्चे अनाथ हो गये। रिश्तेदारों के मुंह फेरने के बाद अब इन बच्चों का भरोसा उनके पड़ोसियों पर था। लेकिन, बाद में पड़ोसियों ने भी हाथ खड़े कर लिये। घर में सब से बड़ी होने के नाते अब निकिता के कंधो में सारी जिम्मेदारियां आ गयी। अपने छोटे भाई-बहन का पेट भरने के लिए निकिता मछलीबाजार में काम करने लगी।
वह मछली बाजारों के कुछ दुकानों में पानी देने का और मछलियों को साफ करने का काम करती थी। इससे उसे कुछ रुपये व अनाज की जुगाड़ हो जाते थे। काफी परेशानियों से जूझते हुए भी निकिता अपनी भाई-बहन का भरण-पोषण करती और 5 सौ रुपये बतौर घर किराये के मालिक को भी देती। काफी कष्ट से दिन गुजरने के बावजूद इस लॉकडाउन ने अब उनके जीवन को और भी कष्टदायक कर दिया।
लॉकडाउन के चलते निकिता का काम बंद हो गया। जिसके चलते वह और भी मुश्किल में पड़ गयी।लेकिन, भगवान जब एक रास्ता बंद करता है, तो दूसरा रास्ता खोल देता है। स्वयंसेवी संस्था यूनिक फाउंडेशन को जब निकिता व उसके भाई-बहन के बारे में पता चला, तो संस्था उनकी मदद के लिए सामने आयी। संस्था के सदस्यों ने आज इन अनाथ बच्चों को खाना व कपड़े दिये ।
इतना ही नहीं, उन्होंने निकिता के घर किराये के रुपये भी दे दिये है। संस्था की ओर से कहा गया है कि आने वाले दिनों में भी वे इसी तरफ इन अनाथ बच्चों की सहायता करेंगे।