सिलीगुड़ी,10 जनवरी (नि.सं.)।अगले सोमवार को पौष-पूर्णिमा पर वनदुर्गा पूजा होने वाली है। उससे पहले तैयारियां जोरों पर चल रही हैं। इस वर्ष वनदुर्गा पूजा अपने 44वें वर्ष में प्रवेश कर रही है। राजगंज के फाराबाड़ी के पास बैकुंठपुर के घने जंगल में वनदुर्गा पूजा होता है। कहा जाता है कि देवी चौधुरानी और भवानी पाठक का स्मारक स्थल दिल्लीभिटा चांदेर खाल के नाम से जाना जाता है। साहित्य सम्राट बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ने भी अपने उपन्यास ‘देवी चौधुरानी’ में इस स्थान का उल्लेख किया है।
कई साल पहले यहां स्थानीय लोग ठुनठुनिया मां के नाम से पूजा करते थे। एक समय में इस पूजा के लिए बहुत से लोग जंगल में आते थे। अब इसे वनदुर्गा पूजा के नाम से जाना जाता है। वर्तमान में बैकुंठपुर के जंगल में एक स्थायी मंदिर में बंनदुर्गा की विशेष विधि-विधान से पूजा की जाती है। इस पूजा में सिलीगुड़ी, जलपाईगुड़ी समेत आसपास के कई जिलों से काफी लोग आते हैं। पूजा के दो दिनों तक प्रशासन की ओर से अतिरिक्त चौकसी रहेगी।
इस संबंध में वनदुर्गा पूजा कमिटी के सचिव राजू साहा ने बताया कि इस वर्ष 44वें वर्ष में वनदुर्गा पूजा मनाई जा रही है। हर साल पौष माह की पूर्णिमा के दिन देर रात वनदुर्गा की पूजा की जाती है। जिसकी तैयारी चल रही है। कोविड के कारण कई वर्षों तक पूजा दिन में की जाती थी, लेकिन पिछले वर्ष से पूजा रात में की जा रही है। यह पूजा प्रशासन के सभी नियमों के अनुसार की जाएगी। उन्होंने आम लोगों को भी इस पूजा में आने के लिए आमंत्रित किया।