बालासन ब्रिज क्षतिग्रस्त होने के बाद बानियाखाड़ी ग्राम के लोगों ने चार दिनों के अंदर तैयार किया अस्थायी ब्रिज

सिलीगुड़ी, 22 नवंबर (नि.सं.)। “आवश्यकता आविष्कार की जननी है” का अर्थ है कि जब जीवित रहने के लिए कुछ जरूरी हो जाता है तो मानव किसी भी तरह से उसे प्राप्त करने के लिए जुट जाता है। इसका अर्थ यह है कि आवश्यकता ही नए आविष्कार और खोज के पीछे मुख्य आधार है। यह मुहावरा शताब्दियों से उपयोग में रहा है। इस मुहावरा का सही अर्थ बानियाखाड़ी ग्राम के लोगों ने दिया है।


बालासन ब्रिज के क्षतिग्रस्त होने के बाद बानियाखाड़ी ग्राम के लोगों ने अपने आवश्यकता आविष्कार करते हुए चार दिनों के अंदर ही एक अस्थायी ब्रिज का निर्माण कर दिया है। ज्ञात हो कि बालासन ब्रिज के क्षतिग्रस्त होने के बाद आवाजाही ठप है। ब्रिज के ऊपर से वर्तमान समय में न तो बाइक और न ही वाहनों की आवाजाही हो रही है।

सिलीगुड़ी आने और बागडोगरा जाने वालों को 10 से 12 किलो मीटर की लंबी दूरी तय कर आवाजाही करनी पड़ रही है। साथ ही लोगों को आवाजाही करने में काफी समस्या हो रही है। लोगों की समस्या को देखते हुए बानियाखाड़ी ग्राम के लोगों ने 72 फीट लंबा और 5 फीट चौड़ा पुल बनाया है। इस पुल में कुल 22 लोहे के खंभे लगाए गए हैं और इसमें कुल 9 प्लाईवुड शीट भी लगाई गई हैं। रविवार को यह ब्रिज बनकर तैयार हुई है।


इसके बाद आज से उक्तब्रिज लोगों के आवाजाही के लिए खोल दिया गया है। इस ब्रिज से वर्तमान में बाइक,साइकिल और टोटो आवाजाही कर रही है। बानियाखाड़ी ग्राम के बबलू सेन को सबसे पहले इस तरह के ब्रिज निर्माण की सोच आई।

इसके बाद बबलू सेन ने इलाके कुछ लोगों के साथ मिलकर चार दिन में 72 फीट लंबा ब्रिज निर्माण कर दिया। इस पुल के निर्माण पर कुल 75 हजार रुपये खर्च हुए है। पुल के तैयार हो जाने से लोगों में खासी खुशी है।

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