सिलीगुड़ी,1 जुलाई (नि.सं.)। "आमी जे रिक्शावाला दिन की इम्यून जाबे?" शोकाले की भात खाबो न..."बांग्ला गीत की यह पंक्तियाँ वास्तविक जीवन में कुछ हद तक सच्ची लगती है। पहले की तरह रिक्शा चालकों का दिन क्या है? शायद नहीं। अब बहुत कम लोग पैडल रिक्शा पर बैठते है। आर्थिक तंगी के बीच रिक्शा चालक अपना दिन गुजार रहे है।
जिस वजह से कई लोगों ने रिक्शा चलाना भी बंद कर दिया है।इसी को देखते हुए समाजसेवियों ने सिलीगुड़ी में रिक्शा चालकों के लिए एक अनोखा पहल किया। रथयात्रा के दिन समाजसेवियों ने सिलीगुड़ी के चिल्ड्रन पार्क से रिक्शा चालकों को उनके रिक्शे में बैठाया और शहर का परिक्रमा करवाया।
इस दौरान समाजसेवियों द्वारा रिक्शा चालकों को कुछ खाने-पीने की चीजें भी सौंपी गई। समाजसेवियों की यह शानदार पहल को देखकर शहरवासी काफी खुश हए। यह पहल पुलिसकर्मी और सामाजिक कार्यकर्ता बापोन दास ने किया। इस दौरान कई अन्य सामाजिक संगठन भी उनके साथ खड़े थे।