जलपाईगुड़ी,29 मई (नि.सं)। जलपाईगुड़ी में जमाई षष्ठी से पहले हाथ के पंखों की मांग बढ़ गई है। जमाई षष्ठी आने में अब बस कुछ ही दिन रह गए है। इसके लिए जलपाईगुड़ी के बाजार में अभी से भीड़ उमड़ने लगी है। ताड़ के पत्तों से बने पंखे जो पूरे साल नहीं मिलते अब सबसे ज्यादा वह ही बिक रहे हैं।
पारंपरिक मान्यता के अनुसार जमाई षष्ठी पर सास ताड़ के पत्तों से बने पंखे से अपने दामाद की खुशहाली की कामना करती हैं। जिस तरह तूफान में ताड़ का पेड़ हिलता नहीं है उसी तरह यह कामना की जाती है कि दामाद उनकी बेटी के प्रति अपने कर्तव्यों को पूरा करने में अडिग (दृढ़ )रहे। इस लिए जमाई षष्ठी से पहले ताड़ के पत्तों से बने पंखों की मांग बढ़ गई है। इस साल जमाई षष्ठी से पहले जलपाईगुड़ी के बाजार में यह हाथ का पंखा खूब बिक रहा है। एक पंखा 30 रूपए की दर से बिक रहा है। हालांकि, प्लास्टिक के हाथ के पंखे भी पीछे नहीं हैं, जिनकी कीमत महज 10 रूपए है।
बाजार के विक्रेताओं ने है कि साल के अन्य समय में ताड़ के पत्तों से बने पंखों की मांग बहुत अधिक नहीं होती, लेकिन जमाई षष्ठी से कुछ दिन पहले इनकी मांग बहुत बढ़ जाती है। इस दौरान प्लास्टिक के पंखों की मांग कम होती है। परंपरा को जीवित रखने के लिए ज्यादातर खरीदार ताड़ के पत्तों से बने पंखों को ही महत्व दे रहे हैं। जिससे व्यवसायियों के चेहरों पर खुशी देखी जा रही है।