सिलीगुड़ी, 1 अगस्त (नि.सं.)। परेश चंद्र राय को बचपन से ही लोकगीतों और भवाईया गीतों में रुचि रही है। लेकिन उन्होंने अपनी आजीविका के लिए रिक्शा चालक का पेशा चुना। जब भी वे रिक्शा चला कर थक जाते है तो दोतारा हाथ में लेकर दिल खोल कर गाना गाने लगते है।
इनके गानों को सुनने के लिये आसपास में काफी भीड़ इकट्ठी हो जाती है। इससे उन्हें काफी खुशी मिलती है।फूलबाड़ी के शांतिपाड़ा के निवासी परेश चंद्र राय लोकगीतों और भवाईया गान के बड़े फेंन है। वह आज भी इस गीत को शहर में जिंदा रखने की कोशिश करते हैं।पेशे से रिक्शा चालक होने के कारण लॉकडाउन और लॉकडाउन के बाद भी उन्हें आर्थिक समस्याओं से गुजरना पड़ रहा है।
लेकिन संगीत उनके लिये सभी समस्याओं का हल है। जब भी उन्हें कहीं गाने का मौका मिलता है, तो वह सब कुछ छोड़कर कार्यक्रम में शामिल हो जाते हैं। वे चाहते है कि जीवन भर ये गीत लोगों के बीच जिंदा रहे।