सिलीगुड़ी,16 सितंबर (नि.सं.)।महालया से दुर्गा पूजा की शुरुआत हो जाती है।बंगाल के लोगों के लिए महालया का विशेष महत्व है और वे साल भर इस दिन की प्रतीक्षा करते हैं।महालया के साथ ही जहां एक तरफ श्राद्ध खत्म हो जाते हैं।
वहीं, मान्यताओं के अनुसार इसी दिन मां दुर्गा कैलाश पर्व से धरती पर आगमन करती हैं और अगले 10 दिनों तक यहीं रहती हैं। महालया के दिन ही मूर्तिकार मां दुर्गा की आंखों को तैयार करते हैं।
महालया के बाद ही मां दुर्गा की मूर्तियों को अंतिम रूप दे दिया जाता है और वह पंडालों की शोभा बढ़ाती हैं। इधर, एक पीढ़ी के लिए महालया का मतलब है सुबह उठकर रेडियो पर महालया सुनना और दूसरी पीढ़ी के लिए महालया का मतलब सुबह उठक कर दोस्तों के साथ घूमने जाना है। जिस तरह इन दो पीढ़ियों के बीच एक बड़ा अंतर है, उसी तरह इस दिन के बारे में भी दो पीढ़ियों के बीच बहुत अधिक उत्साह होती है।
शहर के बुजुर्गों ने कहा कि उनके लिए महालया की सुबह रेडियो पर महालया सुनने के साथ शुरू होती है और फिर परिवार के साथ उत्सव के तरह पूरा दिन बिताते हैं जो की नई पीढ़ी में नहीं दिखी जाती है।
वहीं, नई पीड़ियों का कहना है कि महालया का अर्थ है सुबह उठकर दोस्तों के साथ घूमने जाना और बाहर खाना-पीना व अड्डा मारना होता है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि बचपन में घर में बड़ों के साथ दिन बित कर महालय की खुशी मनाते थे। वे लोग उन दिनों में फिस से वापस पाना जाहते है।