राजगंज,18 दिसंबर (नि.सं.)। हर साल की तरह इस साल भी पारंपरिक प्रथा का पालन करते हुए राजगंज के बैकुंठपुर जंगल में वनदुर्गा पूजा का आयोजन किया गया। चेउलीबाड़ी के निकट घने जंगल में हर साल पौष मास की पूर्णिमा के दिन देर रात को वनदुर्गा की पूजा की जाती है।
शनिवार को उस नियम के अनुसार पूजा की गई, लेकिन कोई कार्यक्रम आयोजित नहीं किया गया। साथ ही इस बार रात के बजाय दिन में भी पूजा-अर्चना की गई। कहा जाता है कि देवी चौधुरानी और भबानी पाठक की स्मृति से जुड़े उक्त स्थान दिल्लीभिटा चांदेर खाल के नाम से जाना जाता है। साहित्यिक सम्राट बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय के उपन्यास 'देवी चौधुरानी' में भी इस स्थान का उल्लेख है।
पहले तो स्थानीय राजबंशी समुदाय के लोग उस स्थान पर पूजा-अर्चना शुरू की। उस समय यह वनदुर्गा पूजा ठुनठुनी पूजा के नाम से जाना जाता था। बाद में कमिटी का गठन कर बनदुर्गा पूजा का आयोजन किया जा रहा है। कमिटी के सचिव राजू साहा ने बताया कि हर वर्ष रात में उक्त वनदुर्गा पूजा का आयोजन किया जाता है।
पूजा के उपलक्ष्य में पर मेला लगता है। इस मेले में लाखों की संख्या में लोग आते थे,लेकिन कोरोना के कारण इस बार दिन में पूजा का आयोजन किया गया है। इसके अलावा मेलों और अन्य धार्मिक समारोहों को भी रद्द किया गया है। प्रशासन की पहल पर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं।