साहित्य संगम द्वारा ‘अंतर्राष्ट्रीय कवि सम्मेलन’ का आयोजन 

सिलीगुड़ी, 14 दिसंबर (नि.सं.)। उत्तर आकाश के संपादक वरिष्ठ साहित्यकार श्री देवेन्द्र नाथ शुक्ल की अध्यक्षता एवं डॉ. मुन्ना लाल प्रसाद के संचालन में 13 सितंबर, 2020, रविवार को सायं 3 बजे से साहित्यिक संस्था “साहित्य संगम” के तत्वावधान में एक अंतर्राष्ट्रीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया।


जिसमें विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ. विवेक मणि त्रिपाठी, सहायक प्रोफेसर, दक्षिण एशियाई भाषा व संस्कृति विभाग, क्वांगतोंग विदेशी भाषा विश्वविद्यालय, चीन एवं मारिशस के जाने-माने साहित्यकार एवं संपादक राज हीरामन और मुख्य अतिथि के रूप में बिहार से अद्यतन के संपादक एवं डी.ए.वी. स्नातकोत्तर महाविद्यालय, जयप्रकाश विश्वविद्यालय, छपरा के पूर्व हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर ब्रजनंदन किशोर उपस्थित थे। कार्यक्रम सिमरन प्रसाद के उद्घाटन नृत्य भरत नाट्यम से प्रारंभ हुआ।

डॉ. विवेक मणि त्रिपाठी ने भारत और चीन के सांस्कृतिक एवं धार्मिक संबंधों पर प्रकाश डालते हुए यह बताया कि कैसे दोनों देशों के बीच आंतरिक संबंधों में प्रगाढ़ता है। जहां एक तरफ प्रो. राज हीरामन ने अपने वक्तव्य में मारिशस की कला एवं संस्कृति से सभी का परिचय कराया वही मुख्य अतिथि प्रो. डॉ. ब्रजनंदन किशोर ने वेविनार शब्द की व्याख्या करते हुए कार्यक्रम की दशा और दिशा पर प्रकाश डाला।


इस कवि सम्मेलन में पश्चिम बंगाल से लेकर देश के विभिन्न राज्यों एवं पड़ोसी देश नेपाल और मारिशस एवं चीन के कवियों ने भाग लिया। सभी कवियों ने अपनी एक से बढ़कर एक कविताएं प्रस्तुत कर श्रोताओं की खूब वहहवाही लूटी।

कार्यक्रम में प्रो. डॉ. ब्रजनंदन किशोर, बिहार, प्रो. डॉं. विवेक मणि तिवारी, क्वांगतोंग, चीन, प्रो. राज हीरामन (मारिशस), प्रो. रुद्र कुमार झा, श्री जयप्रकाश अग्रवाल, श्री अवधेश पोखरेल, श्री महेंद्र कुमार मिश्र (नेपाल), अर्चना आर्याणी (बिहार) डॉ. सत्यप्रकाश तिवारी, डॉ. विपिन किशोर प्रसाद, डॉ. वेंकटेश्वर पांडेय, श्री दिनेशचंद्र दिनेश (कोलकाता), डॉ. भीखी प्रसाद ‘वीरेन्द्र’ श्री देवेन्द्र नाथ शुक्ल, डॉ. ओमप्रकाश पांडेय, श्री सत्येन्द्र कुमार सिंह, प्रो. मनोज विश्वकर्मा, श्री विनोद अग्रवाल, जलपाईगुड़ी, डॉ. वंदना गुप्ता, श्रीमती किरण अग्रवाल, ऋतु गर्ग, श्रीमती पुतुल मिश्र एवं डॉ. मुन्ना लाल प्रसाद ने अपनी कविताओं का पाठ कर श्रोताओं की खूब वाहवाही लूटी। काफी संख्या में दूर-दूर के श्रोता भी अपने घरों में ही बैठकर ऑनलाइन कविता का आनन्द ले रहे थे।

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