सिलीगुड़ी, 16 सितंबर (नि.सं.)। देवताओं के शिल्पी भगवान विश्वकर्मा की पूजा को लेकर सिलीगुड़ी में चहल-पहल बढ़ गयी है। कोरोना संक्रमण के दो साल बाद शहर में धूमधाम से विश्वकर्मा की पूजा आयोजित की जायेगी। विश्वकर्मा पूजा के मद्देनजर विभिन्न गैरेज, कार्यालय, कारखानों में पूजा की तैयारियां शुरू कर दी है। वहीं,मूर्तिकार भी काफी उत्साहित दिख रहे हैं।
मूर्ति विक्रेता पिछले दो वर्षों की तुलना में इस वर्ष अधिक मूर्तियां बेचने की उम्मीद कर रहे हैं। इधर,मूर्ति विक्रेता पहले ही शहर के विभिन्न जगहों में ढेर सारी मूर्तियों लेकर पहुंच चुके है। बताया गया है बाजारों में मूर्तियों की ज्यादा ब्रिकि नहीं है। पहले से ही महंगाई की मार के साथ मूर्तिकारों के लिए इस वर्ष रंग,श्रृंगार सामग्री, मिट्टी तथा लेबर चार्ज महंगा होने से मूर्तियां तैयार करना भी महंगा हो गया है। पिछले साल मूर्ति की कीमत 300 रूपये थी, लेकिन इस साल उस मूर्ति की कीमत 400 रूपये से लेकर 600 रूपये हो गई है। बड़ी मूर्ति 2 हजार से बढ़कर 2500 एवं 3 हजार रूपये तक हो गई है। इधर प्रतिमाओं के दामों ने ग्राहकों के होश उड़ा दिए हैं।
मूर्तिकार विश्वजीत पाल और परितोष पाल ने कहा कि मूर्तियों की कीमत इस साल पहले की तुलना में अधिक है। वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोत्तरी के कारण मूर्तियों की कीमत बढ़ गई है। पहले मिट्टी की कीमत 2 हजार से 2500 रुपये थी। अब मिट्टी की कीमत बढ़कर 5 हजार रुपये हो गई है। पिछले साल बारिश के कारण कई मूर्तियों को नुकसान पहुंचा था। लेकिन उन्हें उम्मीद है कि इस साल सभी मूर्तियां बिक जायेगी।
वहीं, मूर्ति खरीदने पहुंचे शुभंकर घोष और सुजीत दास ने कहा कि मूर्ति की कीमत पहले के मुकाबले काफी बढ़ गई है। लेकिन पूजा तो करनी पड़ेगी। सब कुछ बजट से बाहर हो गया है।