सिलीगुड़ी, 27 दिसंबर (नि.सं.)। हर साल की तरह इस साल भी परंपरा के अनुसार राजगंज के बैकंठपुर घने जंगल में वनदुर्गा पूजा संपन्न हुई है। हर साल पौष माह की पूर्णिमा के दिन चेउलीबाड़ी के पास घने जंगल में देर रात वन दुर्गा की पूजा की जाती है। वनदुर्गा पूजा इस वर्ष अपने 43वें वर्ष में प्रवेश की है। हालांकि इस वर्ष पूजा रात में आयोजित की गई थी, जिस वजह से भक्तों के आगमन पर पूरी तरह से प्रतिबंध था। हालांकि सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ जुटनी शुरू हो गई। जिसके बाद भक्तजनों ने पूजा-अर्चना, आरती किया। वहीं, भक्तजनों में प्रसाद का वितरण भी किया गया।
ऐसा कहा जाता है कि देवी चौधुरानी और भवानी पाठक का स्मारक स्थल दिल्लीभीटा चादर खाल के नाम से भी जाना जाता है। साहित्य सम्राट बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ने भी अपने उपन्यास ‘देवी चौधुरानी’ में इस स्थान का जिक्र किया है।
सबसे पहले स्थानीय राजबंशी समुदाय के लोगों ने इस स्थान पर पूजा-अर्चना शुरू की। उस समय वन दुर्गा पूजा को ठुनठुनि पूजा के नाम से जाना जाता था। बाद में करीब 43 साल पहले एक कमेटी बनाकर नए सिरे से वनदुर्गा की पूजा शुरू किया गया। तब से हर साल परंपरा के अनुसार वन दुर्गा पूजा की जाती है।
कमेटी के सचिव राजू साह ने बताया कि हर वर्ष रात्रि में पूजा का आयोजन किया जाता है। पूजा के अवसर पर मेला भी लगता है। उत्तर बंगाल के विभिन्न हिस्सों से लाखों श्रद्धालु आते है। हालांकि, रात में पूजा आयोजित होने से भक्तों के इकट्ठा होने पर पूरी तरह से प्रतिबंध था। जिस वजह से भक्तजन सुबह से आ रहे है।