सिलीगुड़ी, 28 जुलाई (नि.सं.)। 26 वर्ष पहले हुए बैंक घोटाले में सीबीआई कोर्ट ने मैनेजर और क्लर्क को दोषी दोषी करार दिया है। जिसके बाद आरोपियों को कारावास के साथ ही जुर्माना लगाया गया है। मिली जानकारी के अनुसार, वर्ष 1991-1995 में उत्तर बंग क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक खोरीबाड़ी ब्रांच में तीन अस्तित्व विहीन लोगों के अकाउंट से 4 लाख रुपये का घोटाला हुआ था। यह मामला वर्ष 1996 में बैंक प्रबंधन के नजर में आई। इसके बाद सीबीआई को इसकी जांच सौंपी गई। जांच के दौरान सीबीआई को पता चलता है कि 4 लाख रुपये घोटाले में उत्तरबंग क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक के ही कई अधिकारी शामिल है। इसके बाद कुछ दिनों की जांच के बाद सीबीआई इस घोटाले में बैंक के तीन लोग बैंक के मैनेजर मनोज कुमार चक्रवर्ती, सीनियर क्लर्क सुभाष चंद्र राय और कैशियर दीपक बनिक को पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद सीबीआई इन तीनोंके विरुद्ध सबूत इकट्ठा करना शुरू किया।
सबूत मिलने के बाद सीबीआई करीब दो हजार पन्नों का चार्ज शीट सिलीगुड़ी अदालत में जमा पेश किया। सबसे पहले इस केस की सुनवाई कोलकाता सीबीआई कोर्ट में चली। जिसके कुछ वर्ष बाद इस केस को दार्जिलिंग जिला अदालत में ट्रांसफर कर दिया गया। अंत में जब सिलीगुड़ी अदालत में सीबीआई कोर्ट बनने के बाद दार्जिलिंग से केस को सिलीगुड़ी सीबीआई कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया गया।वर्षों तक सिलीगुड़ी सीबीआई कोर्ट में सुनवाई चलने के बाद कुल 22 लोगों की बयान कोर्ट में दर्ज की गई। जिसमें बैंक प्रबंधन, सीबीआई की जांच टीम सहित बैक के अन्य कर्मी शामिल थे। इसके बाद आज सिलीगुड़ी सीबीआई कोर्ट ने सुनवाई के बाद बचाव पक्ष और सरकारी पक्ष की दलील को सुनने के बाद अपना फैसला सुनाई।
सीबीआई कोर्ट के न्यायाधीश मानवेन्द्र मोहन सरकार ने उत्तरबंग क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक घोटाला में बैंक के मैनेजर मनोज कुमार चक्रवर्ती, सीनियर क्लर्क सुभाष चंद्र राय को दोषी करार दिया। मैनेजर मनोज कुमार चक्रवर्ती को अदालत ने दो वर्ष जेल सश्रम कारावास और 30 हजार रुपये जुर्माना लगाया ।वहीं, सीनियर क्लर्क सुभाष चंद्रो राय को न्यायाधीश मानवेन्द्र मोहन सरकार मुख्य आरोपी करार देते हुए पांच वर्षसश्रम कारावास और करीब एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया। जबकि, कैशियर दीपक बनिक को बेगुनाह मान तर बाइज्जत बरी कर दिया। इस विषय पर कैशियर दीपक बनिक के वकील रतन बनिक ने बताया कि इस घोटाले में उनके मुअकिल का कोई भी हाथ नही था।
26 वर्ष तक यह मामला चलने के बाद आज सिलीगुड़ी सीबीआई कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है। जिसमें मैनेजर और क्लर्क को दोषी करार देते हुए सजा की घोषणा की गई है। वहीं, उनके मुअकिल बेकसूर साबित हुआ। वहीं, सीबीआई कोर्ट के इस फैसले पर दोषी मैनेजर मनोज कुमार चक्रवर्ती के वकील अभय चटर्जी ने बताया कि उनके मुअकिल का इस घोटाला में कोई हाथ ही नहीं था। सिलीगुड़ी सीबीआई कोर्ट ने जो फैसला दिया है उसको वे कोलकाता हाई कोर्ट में चैलेंज करेंगे।
