खोरीबाड़ी, 8 मई (नि.सं.)। भारत-नेपाल और बिहार सीमा से सटे खोरीबारी में अनानास की खेती की ओर किसानों का रुझान बढ़ने लगा है। खोरीबाड़ी क्षेत्र के वर्तमान में अनानास की फसल को देख यह अनुमान लगाया जा रहा है कि अब किसान मकई व अन्य खेती के अलावा अनानास की खेती को भी अपनाया है।
जबकि इस क्षेत्र के किसान मुख्य रूप से धान और गेहूं की खेती करते थे। यहां के लोगो का मुख्य भोजन चावल ही है, लेकिन अनानास की खेती में अधिक आमदनी को देख किसान इस खेती को व्यावसायिक खेती के रूप में लिया है। उत्पादक मनोज महतो ने बताया दार्जिलिंग जिले के खोरीबाड़ी प्रखंड क्षेत्र के किसानों के लिए अनानस फल की खेती एक वरदान साबित हो रहा है। किसान मेहनत से न केवल अपनी तकदीर बदल रहे हैं, बल्कि इससे क्षेत्र की तस्वीर भी बदल रही है।
केला के साथ-साथ अनानास की अच्छी पैदावार के कारण इस क्षेत्र की किसानी को लेकर अलग पहचान बन रही है। रंजीत साह ने एक एकड़ में 15 हजार पौधे की रोपाई की जाती है और फल को तैयार करने में प्रति पौधे पर 12 से 14 रुपया खर्च आता है और अनानास की फल तैयार 17 से 18 महीने के बीच हो जाती है। फल तैयार होने के बाद विधाननगर, सोनापुर के मंडी में फल बेचने के लिए ले जाते हैं।