नेत्रहीन लोगों के लिए रोशनी की किरण बन रही मातृछाया, देशभर में दे रही है जागरूकता का संदेश

सिलीगुड़ी, 23 नवंबर (नि.सं.)। नेत्रहीन लोगों के लिए रोशनी की किरण मातृछाया बन रही है। मातृछाया सिलीगुड़ी की एक ऐसी संस्था है, जहां नेत्रहीनों को आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। नेत्रहीन बच्चे किसी के पास हाथ न फैलाए बल्कि खुद के पैरों पर खड़े रहे।


इसके लिए मातृछाया उनके रहने से लेकर पठन-पाठन तक की सुविधा मुहैया करा रही है। सिलीगुड़ी में मातृछाया कोई नया नाम नहीं है। पिछले कई वर्षों से सिलीगुड़ी में यह संस्था ने सिर्फ नेत्रहीन बच्चो को ही नहीं बल्कि बुजुर्ग और बेसहारा लोगों को भी सहारा देते आ रही हैं। यह सिलीगुड़ी की एकमात्र ऐसी संस्था है जो नि:शुल्क में सभी को अपनी सेवा प्रदान करते आ रही है।

सोमवार को इस मातृछाया घर में कुल 45 नेत्रहीन बच्चे हैं जो उच्च शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। साथ ही विभिन्न विभागों में सफल भी हो रहे हैं। इतना ही नहीं इस मातृछाया संस्था में 100 से ज्यादा बुजुर्ग लोग भी रह रहे हैं। असल में मातृछाया क्या है।किस तरीके से काम करती है। इसको जानने के लिए आज एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यमक्रम में दिल्ली से करीब 75 और सिलीगुड़ी से करीब 200 जानी-मानी शख्सियत पहुंचे थे। उन लोगों को मातृछाया के पूरे प्रोजेक्ट से रूबरू करवाया गया।


साथ ही इस कार्यक्रम के तहत इन सभी जानी-मानी शख्सियतों से देश के विभिन्न हिस्सों में इसी तरीके से नेत्रहीन एवं बेसहारा लोगों का सहारा बनने के लिए अपील भी की गई। देश में मात्री छाया जैसी अगर और भी कई संस्थाएं खुलती है, तो किसी भी नेत्रहीन बच्चों को दूसरे के सामने हाथ फैला कर भीख नहीं मांगना पड़ेगा बल्कि खुद वह आत्मनिर्भर बन पाएंगे।

इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर दिल्ली की जानी-मानी हस्ती और सिलीगुड़ी की बेटी सुलोचना मानसी,सुभाष कुंबट,कैलाश नकिपुरिया,रामअवतार रटेरिया और सीए विशाल जैन मुख्य रूप से उपस्थित थे।

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